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पत्नी को परमेश्वर जानो

.......... पत्नी को परमेश्वर जानो........

नारी अपने सब रूपों मे सदा वन्दनीय होती है,
देवी होता बाल रूप ,भाइयों पर जान‌ न्योछावर करती है।

दया-क्षमा-ममता की मूरत मातृ रूप है बहुत महान,
बच्चों,पति, परिवार  हेतु कर देती ख़ुद को बलिदान।

पत्नी से परिवार है चलता रक्षक है,संचालिका है,
परिवार से स्नेह-सम्मान मिले तो वह उसकी कुशल मल्लिका है।

बच्चों,पति को कोई दुख दे तो वह अरि-संहारक चण्डी है,
सिर्फ़ प्रेम-सम्मान की भूखी वह नारी आदर्श गृहिणी हैं।

आवश्यकता है नारी को हम उचित सम्मान सब दे पाएं,
अबला नहीं वह सशक्त शेरनी दुश्मन पर वह चढ़ धाऐं ।

उलझन हो जब पति के दिल मे ‌वह सुलझाया करती है
राह भटक जाये यदि पति तो राह दिखाया करती है।

अनुशासित रखती परिवार को राज मे उसके सुख मानो,
चन्द शब्दों मे कहना है कि," पत्नी को परमेश्वर मानो।"

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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